आजकल हार्ट अटैक के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। बेहद कम उम्र में ही लोग हार्ट अटैक से अपनी जान गवा दे रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है, हमारी नियमित लाइफस्टाइल की गलत आदतें। स्मोकिंग आजकल काफी ट्रेंड में है, और आजकल कॉलेज स्टूडेंट से लेकर हाई स्कूल के बच्चे भी कूल दिखाने के लिए स्मोकिंग करते हैं। इसका प्रभाव बढ़ती उम्र के साथ उनके हार्ट हेल्थ पर नजर आएगा।
स्मोकिंग केबल लंग्स को प्रभावित नहीं करती, बल्कि यह आपकी समग्र सेहत के लिए हानिकारक होती है और इसका हृदय स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस वक्त हृदय स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा चिंता का विषय बना हुआ है। इसलिए हमें हृदय स्वास्थ्य के बारे में बेहद सचेत रहने की आवश्यकता है।
हेल्थ शॉट्स ने हृदय स्वास्थ्य पर स्मोकिंग के प्रभाव जानने के लिए साओल हार्ट सेंटर, नई दिल्ली एम्स के पूर्व सलाहकार और निर्देशक डॉ विमल छजेड से बात की। एक्सपर्ट ने स्मोकिंग से हृदय स्वास्थ्य पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव (Smoking effect on heart health) से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी दी है। तो चलिए जानते हैं, इस विषय पर अधिक विस्तार से।
ह्रदय स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा चिंता का विषय बन चूका है
जानें हृदय स्वास्थ्य पर स्मोकिंग के प्रभाव (Smoking effect on heart health)
स्मोकिंग कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का एक सबसे बड़ा कारण है। वहीं कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से होने वाली हर चार मौतों में से एक मौत का कारण स्मोकिंग होता है। स्मोकिंग से आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड (एक प्रकार का फैट) बढ़ जाता है। इसके अलावा यह बॉडी में गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम कर देता हैं। साथ ही ब्लड को स्टिकी बना देता है, जिससे की ब्लड आसानी से क्लॉट हो जाता है। वहीं यह ब्लड फ्लो को हार्ट और ब्रेन तक पहुंचने से ब्लॉक कर देता है। स्मोकिंग करने वालों में नॉन स्मोकर्स की तुलना में ऑक्सीजन सप्लाई कम होता है, जिसकी वजह से हार्ट पर नकारात्मक असर पड़ता है।
स्मोकिंग ब्लड वेसल्स की सेल्स लाइनिंग को डैमेज कर देता है और ब्लड वेसल्स में प्लाक (फैट, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य सब्सटांस) के जमाव का कारण बनता है। इस स्थिति में ब्लड वेसेल्स सिकुड़ना शुरू कर देते हैं, जिसकी वजह से ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है और पर्याप्त मात्रा में ब्लड हार्ट तक नहीं पहुंच पाता। जिसकी वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक आदि जैसी हृदय संबंधी समस्याएं आपकी परेशानी का कारण बन सकती हैं।
स्मोकिंग ही नहीं Secondhand smoke भी बन सकता है हृदय रोग का कारण
Secondhand smoke ठीक स्मोकिंग की तरह ही आपकी सेहत को हानि पहुंचता है। सेकंड हैंड स्मोक वह स्मोक है, जो तंबाकू प्रोडक्ट को जलाने के बाद बाहर निकलता है और आप सांस के माध्यम से उसे इन्हेल करती हैं। इसके अलावा यह स्मोकर द्वारा स्मोकिंग के दौरान स्मोक के बाहर छोड़ने पर भी निकलता है। सेकंड हैंड स्मोक ब्रीदिंग से क्रोनरी हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक आदि। नॉन स्मोकर जो घर पर या अपने वर्कप्लेस पर सेकंड हैंड स्मोक ब्रीदिंग करते हैं, उन में हार्ट डिजीज का खतरा 25 से 30% तक अधिक होता है। वहीं सेकंड हैंड स्मोक स्ट्रोक के खतरे को लगभग 20 से 30% तक अधिक बढ़ा देता है।
स्मोकिंग कई स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती है।
सेकंड हैंड स्मोक से हार्ट, ब्लड और वैस्कुलर सिस्टम के सामान्य फंक्शंस पर नकारात्मक असर पड़ता है। जिसकी वजह से यह सही तरीके से कार्य नहीं कर पाते, और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। सेकंड हैंड स्मोक ब्लड वेसल्स की लाइनिंग को डैमेज कर देता है, जिससे ब्लड बेहद स्टिकी हो जाते हैं। वही इस स्थिति में ब्लॉकेज का खतरा बढ़ जाता है और किसी भी वक़्त हार्ट अटैक हो सकता है।
जानें सेहत को अन्य किन रूपों में प्रभावित कर सकती है Secondhand smoke
स्मोकिंग से कई गंभीर बीमारियां होती हैं, जैसे कि सिगरेट का धुआं और टार फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है। इसके अलावा स्मोकिंग से सीओपीडी, अस्थमा, फीमेल और मेल इनफर्टिलिटी, डायबिटीज, मोतियाबिंद सहित तमाम प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। स्मोकिंग से ओवेरियन, पेनक्रिएटिक, कोलन, स्टमक, लिवर जैसे कैंसर की आसंका बनी रहती है।
जानें स्मोकिंग छोड़ने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स।
जानें स्मोकिंग से परहेज रखने के कुछ हेल्दी टिप्स
1. अल्कलाइन डायट और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से स्मोकिंग छोड़ने में मदद मिलेगी। इससे स्मोकिंग की क्रेविंग कम हो जाती है, जिससे आपको बार-बार सिगरेट पीने का मन नहीं होता। इतना ही नहीं यह सिगरेट के साथ-साथ अनावश्यक मीठे की क्रेविंग से भी छुटकारा पाने में मदद करते हैं।
2. निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी की मदद मदद लेने से आपको स्मोकिंग की क्रेविंग्स को कम करने में मदद मिलेगी। निकोटिन को अचानक से छोड़ने से आपको सिर दर्द, मूड स्विंग्स और ऊर्जा की कमी का एहसास हो सकता है। इस स्थिति में निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी के प्रोग्राम में भाग ले आप निकोटिन गम, लोंजेज और पैच की मदद से स्मोकिंग छोड़ने के अपने फैसले को स्थान बना सकती हैं।
3. हर व्यक्ति जब स्मोकिंग छोड़ना चाहता है, तो यह सोचता है कि आज सिर्फ एक सिगरेट पिऊंगा। इस विचार पर निर्भर न रहें क्योंकि ये एक कि लत कभी नहीं जाती। यदि आपने स्मोकिंग छोड़ने का निश्चय ले लिया है, तो आपको इसे पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए।
4. यदि आप स्मोकिंग छोड़ना चाहती हैं, तो इसकी क्रेविंग होने पर फौरन सिगरेट जलाने से बचें। इंतजार करने की कोशिश करें, इससे समय लंबा खींचता है और धीरे-धीरे आपकी क्रेविंग्स कंट्रोल होना शुरू हो जाती है। वहीं घर पर या ऑफिस में कहीं भी आपके पास सिगरेट मौजूद नहीं होना चाहिए, इससे भी धीमे-धीमे स्मोकिंग की लत कम होती जाती है।