साइबर ठगी में एआई का नया खतरा
तकनीक के विकास के साथ, हमारी दैनिक जीवनशैली में बदलाव होते जा रहे हैं। लेकिन इस विकास के साथ ही, धोखाधड़ी करने वालों के लिए भी नए-नए रास्ते खुल रहे हैं। एक नया खतरा है जिसे साइबर ठगी के रूप में जाना जाता है, जिसमें अब तकनीकी चालाकी और एआई का इस्तेमाल हो रहा है। इस वर्ग के अनुसार, एआई से संबंधित मामलों में पांच मामले सामने आए हैं, जहां साइबर ठग आवाज और चेहरे की कॉपी करके आवाजीय या वीडियो कॉल के दौरान पैसे की मांग करते हैं।
ये साइबर ठग इतने विशेषज्ञाई होते हैं कि वे दरअसल अपनी शिकार को असली मानते हैं। वे आवाज, भाषा, और बातचीत की ध्वनियों को बहुत ही माहिरी से कॉपी करते हैं, जिससे शिकार यह सोचकर बेहोश हो जाता है कि उसका संपर्क वास्तव में उसी परिवार से हो रहा है।
इन साइबर ठगों के द्वारा उपयोग किए जाने वाले टेक्नोलॉजी टूल्स, जैसे कि वॉयस क्लोनिंग ऐप्स और डीपफेक, बहुत ही कुशलतापूर्वक बातचीत की आवाज और चेहरे को बदलने में सहायता करते हैं।
हालांकि, सुरक्षा के लिए कुछ उपाय हैं जो हमें अपनाने चाहिए। सतर्कता बरतना और किसी भी अनजान नंबर या आवाज के पीछे की पहचान को सत्यापित करना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बिना सत्यापन किए किसी भी धनराशि को ट्रांसफर नहीं करना चाहिए और किसी भी अनजान व्यक्ति से जुड़े कॉल्स पर सतर्क रहना चाहिए।
सुरक्षा और जागरूकता ही हैं वो आधार जिस पर हमें साइबर ठगों से बचाव करना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सतर्क रहें और साइबर ठगी के खिलाफ लड़ाई में शामिल हों।
ठगी से बचाव के लिए दिल्ली पुलिस के कदम
- हर जिले में साइबर थाना मौजूद, वहां भी दे सकते हैं शिकायत।
- पुलिस ने साइबर ठगी के लिए आईएफएसओ का गठन।
- स्कूल, कॉलेज व अलग-अलग संस्थानों में साइबर क्राइम के प्रति जागरुकता की क्लास
बचाव के लिए क्या करें…
- इस तरह की कॉल को क्रॉस चेक करें, बिना जांच-पड़ताल के किसी को पैसा न भेजें।
- इस तरह के मामलों में आरोपी रिश्तेदार या करीबी के नंबर से कभी कॉल नहीं करेगा, यदि ऐसा हो तो सावधान हो जाएं।
- किसी अनजान मोबाइल नंबर, क्यूआर कोड या बैंक खाते में रकम बिल्कुल भी न भेजें।
- ठगी का शिकार हो जाए तो 1930 पर कॉल कर शिकायत दें या cybercrime.gov.in शिकायत करें।
- अपने नजदीकी साइबर थाने जाकर भी शिकायत की जा सकती है।