विजयपत सिंघानिया: एक उड़ान और गिरावट की कहानी
हाइलाइट्स:
- रेमंड, ‘द कंप्लीट मैन’ से लेकर ‘फील्स लाइक हैवन’ तक देश-विदेश में पहचान बनाने वाली कंपनी है।
- कंबल बेचने वाली छोटी सी फैक्ट्री से रेमंड जैसा ब्रांड बनाने वाले विजयपत सिंघानिया आज पाई-पाई को मोहताज हैं।
- उनकी कंपनी बुलंदियों पर है, पर विजयपत के सितारे गर्दिश में हैं।
विस्तृत वर्णन: रेमंड के फाउंडर, विजयपत सिंघानिया की कहानी दरारों भरी है। उन्होंने सौ साल पहले महाराष्ट्र के ठाणे में एक वुलन मिल से रेमंड की शुरुआत की थी। उनका संघर्ष, सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने का सफर है, लेकिन आज वे किराए के घर में जी रहे हैं।
कभी 12000 करोड़ की कंपनी के मालिक, आज दक्षिणी मुंबई की ग्रैंड पराडी सोसायटी में किराए के घर में रह रहे हैं। उनकी कंपनी बुलंदियों पर है, पर उनके सितारे गर्दिश में हैं। जिस शख्स ने रेमंड को घर-घर तक पहुंचाया, उसे खुद बेघर होना पड़ा।
विजयपत सिंघानिया ने साझेदारी और आदर्शों को अपनाकर कंपनी को विकसित किया, परंतु अपने बेटे गौतम सिंघानिया के साथ रिश्ते में टूटूता जा रहा है।
उनकी जीवनी एक उड़ान और गिरावट की कहानी है, जिसने समाज को संजीवनी देने वाली कंपनी को जन्म दिया, लेकिन उन्हें खुद का घर और तनख्वाह तक नहीं मिल पा रही है।
विजयपत सिंघानिया की यह कहानी भावनाओं और कठिनाइयों का सफर है, जो एक प्रशिक्षित व्यापारी के जीवन का सच सुनाती है। उनके संघर्ष का सामना करते हुए भी, वे हमेशा अपने आदर्शों पर दृढ़ बने रहे हैं।
यह कहानी दर्द और उम्मीद की एक अद्वितीय दास्तान है, जो हमें सिखाती है कि जीवन में सफलता और असफलता सिर्फ एक ही पलटन हो सकती है, परंतु जज्बा और मेहनत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
मैंने क्या समझा: विजयपत सिंघानिया की कहानी दिखाती है कि सफलता का सफर कितना कठिन हो सकता है। इसके साथ ही, यह हमें याद दिलाती है कि सफलता की मिली-भगती कीमत भी होती है और हमें हमेशा अपने मूल्यों पर पकड़ा रहना चाहिए।